असफलता से सबक लेना चाहिए। जब आप कोई भी काम कर रहे होते हैं तो अगर आपको उसमें सफलता नहीं मिलती है तो उससे आपको निराश नहीं होना चाहिए बल्कि सबक लेना चाहिए। असफलता भी एक कुंजी है जो सफलता के दरवाजे खोलती है। अक्सर देखा जाता है कि जब कोई विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होता है तो वह निराश होकर उल्टे सीधे काम कर लेता है। हम प्रत्येक वर्ष देखते हैं कि परीक्षा परिणाम आने के बाद फेल हुए कुछ छात्र आत्महत्या को अंजाम देते हैं और अपने साथ अपने परिजनों को भी जिंदगी भर तढफ़ता छोड़ जाते हैं। ऎसा करना कतई उचित नहीं है। अगर दुनिया के महान व्यक्तियों की जीवनी को पढ़ा जाए तो बहुत सी ऎसी शख्सियतें हैं जिन्होंने असफलता से सीख लेकर दुनिया को अपना लोहा मनवाया है। एक सच हमेशा याद रखना चाहिए कि दुनिया की महान शख्सियतें शुरूआत में असफल हुई है। दुनिया के जीनियस दिमाग वाले आइंस्टीन 4 वर्ष की अवस्था तक कुछ बोल नहीं पाते थे और 7 वर्ष तक कुछ पढ़ नहीं पाते थे। इस कारण उनके माँ बाप और शिक्षक उनको गैर सामाजिक एक सुस्त विद्यार्थी के तौर पर देखते थे। उनको स्कूल से निकाल दिया गया था और पॉलटेक्निक कॉलेज में दाखिला देने से भी इनकार कर दिया गया। बाद में वही भौतिक विज्ञान के बहुत बड़े वैज्ञानिक बने। थॉमस एडीसन ने भी कहा था कि जो भी वह स्कूल में सीखते थे उसमें हमेशा नाकाम होते थे। बावजूद इसके उन्होंने कहा कि मैंने हज़ार रास्ते ऐसे ढूंढे जिससे सफलता नहीं मिलती थी। ब्रिटेन के दो बार बने प्रधानमंत्री चर्चिल छठी कक्षा में फेल हुए और सीख लेकर बाद में प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान हुए। न जाने कितने ही ऐसे लोग हैं जो असफल हुए और उससे सीख लेकर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। भारत के इकलोते नोबल पुरस्कार प्राप्त रवींद्रनाथ टैगोरस्कूल में फेल में हुए, शिक्षक उन्हे पढ़ाई में ध्यान न देने वाले छात्र के रूप में जानते थे। उन्होने लिखा है कि हर एक ओक का पेड़ पहले जमीन पर गिरा हुआ एक छोटा सा बीज होता है। इसलिए हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए बल्कि हार से सबक लेकर कड़ी मेहनत कर अपने मुकाम तक जाने का प्रयास करना चाहिए।
राजेश सारस्वत
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें